HINDUISM AND SANATAN DHARMA

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प्राचीन वैदिक भारत की विश्व को देन

1-जब कई संस्कृतिया 5000 साल पहले ही घुमंतू जंगली और खानाबदोश थी,तब भारतीय सिंधु घाटी (सिंधुघाटी सभ्यता) में हड़प्पा संस्कृति की स्थापना की। 2-बीज गणित,त्रिकोण मिति और कलन का अध्ययन प्राचीन भारत में ही आरंभ हुआ था।
3-‘स्थान मूल्य प्रणाली’ और ‘दशमलव प्रणाली’ का विकास भारत में 100 बी सी में हुआ था।
4-शतरंज की खोज भारत में की गई थी।
5-विश्व का प्रथम ग्रेनाइट मंदिर तमिलनाडु के तंजौर में बृहदेश्वर मंदिर है।इस मंदिर के शिखर ग्रेनाइट के 80 टन के टुकड़े से बनें हैं।यह भव्य मंदिर राजा राज चोल के राज्य के दौरान केवल 5 वर्ष की अवधि में (1004 ए डी और 1009 ए डी के दौरान) निर्मित किया गया था।
6-सांप सीढ़ी का खेल तेरहवीं शताब्दी में कवि संत ज्ञान देव द्वारा तैयार किया गया था।इसे मूल रूप से मोक्षपट कहते थे।इस खेल में सीढियां वरदानों का प्रतिनिधित्व करती थीं,जबकि सांप अवगुणों को दर्शाते थे।इस खेल को कौडियों तथा पांसे के साथ खेला जाता था।आगे चल कर इस खेल में कई बदलाव किए गए,परन्तु इसका अर्थ वहीं रहा अर्थात अच्छे काम लोगों को स्वर्ग की ओर ले जाते हैं जबकि बुरे काम दोबारा जन्म के चक्र में डाल देते हैं।
7-विश्व का सबसे प्रथम विश्वविद्यालय 700.बी सी में तक्षशिला में स्थापित किया गया था।इसमें 60 से अधिक विषयों में 10,500 से अधिक छात्र दुनियाभर से आकर अध्ययन करते थे।नालंदा विश्वविद्यालय चौथी शताब्दी में स्थापित किया गया था जो शिक्षा के क्षेत्र में प्राचीन भारत की महानतम उपलब्धियों में से एक है।
8-आयुर्वेद मानव जाति के लिए ज्ञात सबसे आरंभिक चिकित्सा शाखा है।शाखा विज्ञान के जनक माने जाने वाले चरक ने 2500 वर्ष पहले आयुर्वेद का समेकन किया था।
9-नौवहन की कला और नौवहन का जन्म 6000 वर्ष पहले सिंध नदी में हुआ था।दुनिया का सबसे पहला नौवहन संस्कृत शब्द नव गति से उत्पन्न हुआ है।शब्द नौ सेना भी संस्कृत शब्द नोउ से हुआ।
10-भास्कराचार्य ने खगोल शास्त्र के कई सौ साल पहले पृथ्वी द्वारा सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने में लगने वाले सही समय की गणना की थी। उनकी गणना के अनुसार सूर्य की परिक्रमा में पृथ्वी को 365.258756484 दिन का समय लगता है।
11-भारतीय गणितज्ञ बुधायन द्वारा ‘पाई’ का मूल्य ज्ञात किया गया था और उन्होंने जिस संकल्पना को समझाया उसे पाइथागोरस का प्रमेय करते हैं।उन्होंने इसकी खोज छठवीं शताब्दी में की,जो यूरोपीय गणितज्ञों से काफी पहले की गई थी।
12-बीज गणित,त्रिकोण मिति और कलन का उद्भव भी भारत में हुआ था।चतुष्पद समीकरण का उपयोग 11वीं शताब्दी में श्री धराचार्य द्वारा किया गया था।ग्रीक तथा रोमनों द्वारा उपयोग की गई की सबसे बड़ी संख्या 106 थी, जबकि हिन्दुओं ने 10*53 जितने बड़े अंकों का उपयोग (अर्थात 10 की घात 53), के साथ विशिष्ट नाम 5000 बीसी के दौरान किया | आज भी उपयोग की जाने वाली सबसे बड़ी संख्या टेरा: 10*12 (10 की घात12) है।
13-सुश्रुत को शल्य चिकित्सा (surgery) का जनक माना जाता है।लगभग 2600 वर्ष पहले सुश्रुत और उनके सहयोगियों ने मोतियाबिंद,कृत्रिम अंगों को लगना, शल्य क्रिया द्वारा प्रसव,अस्थिभंग जोड़ना,मूत्राशय की पथरी, प्लास्टिक सर्जरी और मस्तिष्क की शल्य क्रियाएं आदि की।
14-निश्चेतक का उपयोग भारतीय प्राचीन चिकित्सा विज्ञान में भली भांति ज्ञात था। शारीरिकी, भ्रूण विज्ञान, पाचन, चयापचय, शरीर क्रिया विज्ञान, इटियोलॉजी, आनुवांशिकी और प्रतिरक्षा विज्ञान आदि विषय भी प्राचीन भारतीय ग्रंथों में पाए जाते हैं।
15-युद्ध कलाओं का विकास सबसे पहले भारत में किया गया और ये बौद्ध धर्म प्रचारकों द्वारा पूरे एशिया में फैलाई गई।
16-योग कला का उद्भव भारत में हुआ है और यहां 5,000 वर्ष से अधिक समय से मौजूद हैं।शून्य,बाइनरी संख्या,परमाणु बम का आईडिया,कंप्यूटर प्रोग्रामिंग का आईडिया,विमान शास्त्र,योग विज्ञान,वास्तुशास्त्र ,खगोलविज्ञान,व्यंजन पाक कला,नृत्य कला,संगीत कला जैसी सैकड़ो अमूल्य पद्धतियां वैदिक धर्म की ही देन है। इसलिए देखा जाए तो वास्तव मे वैदिक धर्म और प्राचीन भारतीय संस्कृति एक ऐसा महासागर है, जिसमे जितनी बार डुबकी लगाई हर बार एक नया रत्न बाहर निकलता है।

Thanks Bharat Lalkar

One comment on “प्राचीन वैदिक भारत की विश्व को देन

  1. shrirang sudrik
    February 15, 2015

    Respected Pradeep Ji
    Excellent article. Please post more and more articles on such topics as this is the only convincing method to solve mental slavery of modern indians and also to regain the glorious past of India
    Shrirang Sudrik
    Pune Maharashtra India
    Cell : +91 9011350747

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This entry was posted on February 15, 2015 by in ancient india, HINDUISM and tagged , , .

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