गौवध और हिंदुत्व
हिन्दु धर्म ग्रंथों मे हजारों प्रसंग आते हैं जिसमे गाय को पुज्य माना गया है । इस बात को जानते हुये भी कुछ लोग बहुसंख्यक हिन्दुओं की भावनाओं को आहत करते हुये देश में गौ मांस भक्षण करते हैं । यदा-कदा यह प्रसंग साम्प्रदायिक टकराव का कारण बन जाता है । कुछ वर्षों पहले तक गौ हत्या को लेकर हिन्दु मुसलमानों के बीच ही इस प्रकार की घटनायें देखने को मिलती थीं, लेकिन जब से बीजेपी की सरकार बनी है देश में एक नये किस्म का विरोध का वातावरण देखने को मिल रहा है, जिसमें सरकार के बहाने हिन्दुओं की भावनायें आहत की जा रही हैं । देश का ख्यात ( हिन्दुत्व विरोध के लिये कुख्यात ) जवाहर विश्वविद्दालय इस तरह के कृत्यों का केन्द्र बन गया है, कभी वहां महिषासुर का पुजन होता है, कभी हिन्दुओं के आराध्य श्री राम को फांसी पर लटका दिया जाता है ।
देश की कुछ प्रांतीय सरकारों द्वारा गौ वध पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया इस पर वामपंथी, ईसाई, मुस्लिमों ने ऐसा हाहाकार मचा दिया कि जैसे अब वो लोग तो भूख से मर ही जायेंगे । जगह-जगह गौ मांस भक्षण कर विरोध जताया गया तथा देश के मीडिया ने भी इसको इस तरह प्रचारित किया जैसे कि सरकार और बहुसंख्यक मिल कर इन लोगों को प्रताडित कर रहे हैं । कुछ लोग इसके विरुद्द न्यायालय मे भी पहुंच गये, तर्क दिया कि गरीब लोगों को गाय के मांस से प्रोटीन मिलता है, अगर इस पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया तो ये लोग कुपोषण का शिकार होंगे । 100 ग्राम सोयाबिन में एक किलो गौ मांस से भी ज्यादा प्रोटीन होता है, अगर प्रोटीन की पुर्ति मांस से ही करनी है तो सुअर का मांस भी एक अच्छा स्त्रोत है, मगर इन लोगों को तो सिर्फ विवाद खडा करना था । आप जिस गली, मोहल्ले, गांव, शहर, देश में रहते हैं वहां बहुसंख्यकों की भावनाओं को ठेस पहुंचायेंगे या उनके साथ मिल-जुलकर, शांति से रहना चाहेंगे ? मगर भारत में ऐसा किया जा रहा है । बात-बात में बहुसंख्यकों से टकराव पैदा करने के मुस्लिम-ईसाई मिशनरीज विदेशों से एनजीओ के द्वारा पैसा भेजा जाता है । गौ मांस खाने के पक्ष में इन लोगों ने कुतर्क गढे कि भारत में गाय का मांस हजारों साल से खाया जाता रहा है, इन लोगों ने वेद मंत्रों की गलत व्याख्या कर लोगों मे भ्रमित करने की कुचेष्टा की ।
वेद पुस्तक, श्लोक :
ऋगवेद ८.१०१.१५ – मैं समझदार मनुष्य को कहे देता हुँ की तु बेचारी बेकसूर गाय का वध मत कर, वह अदिति हैं अर्थात काटने- चीरने योग्य नहीं हैं ।
ऋगवेद ८.१०१.१६ – मनुष्य अल्पबुद्धि होकर गाय को मारे कांटे नहीं ।
अथर्ववेद १०.१.२९ – तु हमारी गाय, घोडे और पुरुष को मत मार ।
अथर्ववेद १२.४.३८ – जो (वृद्ध) गाय को घर में पकाता हैं उसके पुत्र मर जाते हैं ।
अथर्ववेद ४.११.३– जो बैलों को नहीं खाता वह कष्ट में नहीं पड़ता हैं ।
ऋगवेद ६.२८.४ – गउयें वधालय में न जायें ।
अथर्ववेद ८.३.२४ – जो गोहत्या करके गाय के दूध से लोगों को वंचित करे , तलवार से उसका सर काट दो।
यजुर्वेद १३.४३ – गाय का वध मत कर , जो अखंडनिय हैं ।
अथर्ववेद ७.५.५ – वे लोग मूढ़ हैं जो कुत्ते से या गाय के अंगों से यज्ञ करते हैं।
यजुर्वेद ३०.१८– गौहत्यारे को प्राण दंड दो ।
वेदों मे गौहत्या के लिये मृत्यु दण्ड की अनुशंसा है, यहां तक की मुसलमानों के आने तक भारत में गौहत्या प्रतिबन्धित थी । इसके प्रमाण के लिये “India in the fifteenth century .being a collection of Narratives of Voyages of India” By R. H. Major Esq., F.S.A. से उद्धृत सन् 1442 ईसवी का ABD-ER-RAZZAK 1442 AD मे Abd-er- razzak का यात्रा वृत्तांत : भारत के वैभव, न्याय व्यवस्था , राजा और प्रजा की एकरूपता और संपन्नता का वर्णन
(पेज 107 ऑफ 254)
“कालीकट से जहाज लगातार मक्का जाते रहते हैं जिसमे मुख्यतः काली मिर्च भरा होता था।कालीकट के निवासी बहुत साहसी सामुद्रिक नाविक हैं जिनको Techini – betechegan (चीनी के पुत्र ) के नाम से जाना जाता है और समुद्री लुटेरों की हिम्मत इनके जहाजों पर आक्रमण करने की नहीं पडती है।
इस बंदरगाह पर हर इच्छित चीज उपलब्ध है । सिर्फ एक ही चीज की मनाही है और वह है गोबध और उसका मांस भक्षण : यदि ऐसे किसी व्यक्ति का पता चल जाय कि किसी ने गाय का वध किया है या उसका मांस खाया है तो उसको तुरंत मृत्यदंड दी जाती है। यहाँ पर गायों का इतना सम्मान है कि लोग गाय के सूखे गोबर का तिलक लगातेहैं । पेज -123
15 शताब्दी तक हिन्दु राज्यों में गौहत्या पर मृत्युदण्ड जैसे कठोर नियम का पालन होता रहा । फिर मुसलमानों तथा ब्रितानियों के शासन में यह बुराई पनपी । स्पष्ट है गौ मांस भक्षण के पक्ष में मची हाय-तौबा देशद्रोही ताकतों द्वारा प्रायोजित षडय़ंत्र है ।
जिस देश में योगी श्री कृष्ण जैसे महामानव ने अपना बाल्यकाल गायों की सेवा में व्यतित किया हो, उस देश के बहुसंख्यक नागरिक माता तुल्य गाय का मांस खाने की मांग करने वाले देशद्रोही के समान हैं ।”
WWW.SHANKHNaAD.NET