HINDUISM AND SANATAN DHARMA

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RED FORTE IS LAL KOT CONSTRUCTED BY ANANG PAL- OF TOMAR DYNASTY

# लालकिला का असली नाम लालकोट हैं # (एक रहस्यमय जानकारी)

जैसे ताजमहल का असली नाम तेजोमहालय है और क़ुतुब मीनार का असली नाम विष्णु स्तम्भ है वैसे ही यह बात भी सत्य है|
– अक्सर हमें यह पढाया जाता है कि दिल्ली का लालकिला शाहजहाँ ने बनवाया था| लेकिन यह एक सफ़ेद झूठ है और इतिहासकारों का कहना है की वास्तव में लालकिला पृथ्वीराज ने बारहवीं शताब्दी में पूरा बनवाया था जिसका नाम “लाल कोट “था जिसे तोमर वंश के शासक ‘अनंग पाल’ ने १०६० में बनवाना शुरू किया था |महाराज अनंगपाल तोमर और कोई नहीं बल्कि महाभारत के अभिमन्यु के वंशज तथा महाराज पृथ्वीराज चौहान के नाना जी थे|

इसका प्रमाण >

तारीखे फिरोजशाही के पृष्ट संख्या 160 (ग्रन्थ ३) में लेखक लिखता है कि सन 1296 के अंत में जब अलाउद्दीन खिलजी अपनी सेना लेकर दिल्ली आया तो वो कुश्क-ए-लाल ( लाल प्रासाद/ महल ) कि ओर बढ़ा और वहां उसने आराम किया.
>अकबरनामा और अग्निपुराण दोनों ही जगह इस बात के वर्णन हैं कि महाराज अनंगपाल ने ही एक भव्य और आलिशान दिल्ली का निर्माण करवाया था.
> शाहजहाँ से 250 वर्ष पहले ही 1398 ईस्वी में तैमूरलंग ने भी पुरानी दिल्ली का उल्लेख किया हुआ है (जो कि शाहजहाँ द्वारा बसाई बताई जाती है).
– लाल किले के एक खास महल मे वराह के मुँह वाले चार नल अभी भी लगे हुए हैं क्या शाहजहाँ सूअर के मुंह वाले नल को लगवाता ? हिन्दू ही वराह को अवतार मान कर पावन मानते है|
– किले के एक द्वार पर बाहर हाथी की मूर्ति अंकित है क्योंकि राजपूत राजा गजो (हाथियों) के प्रति अपने प्रेम के लिए विख्यात थे जबकि इस्लाम जीवित प्राणी के मूर्ति का विरोध करता है|
– लालकिला के दीवाने खास मे केसर कुंड नाम से एक कुंड भी बना हुआ है जिसके फर्श पर हिंदुओं मे पूज्य कमल पुष्प अंकित है| साथ ही ध्यान देने योग्य बात यह है कि केसर कुंड एक हिंदू शब्दावली है जो कि हमारे राजाओ द्वारा केसर जल से भरे स्नान कुंड के लिए प्राचीन काल से ही प्रयुक्त होती रही है|
– गुंबद या मीनार का कोई अस्तित्व तक नही है लालकिला के दीवानेखास और दीवानेआम मे| दीवानेखास के ही निकट राज की न्याय तुला अंकित है \ ब्राह्मणों द्वारा उपदेशित राजपूत राजाओ की न्याय तुला चित्र से प्रेरणा लेकर न्याय करना हमारे इतिहास मे प्रसिद्द है|
– दीवाने ख़ास और दीवाने आम की मंडप शैली पूरी तरह से 984 ईस्वी के अंबर के भीतरी महल (आमेर/पुराना जयपुर) से मिलती है जो कि राजपूताना शैली मे बना हुई है|
आज भी लाल किले से कुछ ही गज की दूरी पर बने हुए देवालय हैं जिनमे से एक लाल जैन मंदिर और दूसरा गौरीशंकर मंदिर है जो कि शाहजहाँ से कई शताब्दी पहले राजपूत राजाओं के बनवाए हुए है|
– लाल किले के मुख्य द्वार के फोटो में बने हुए लाल गोले में देखिये , आपको अधिकतर ऐसी अलमारियां पुरानी शैली के हिन्दू घरो के मुख्य द्वार पर या मंदिरों में मिल जायंगी जिनपर गणेश जी विराजमान होते हैं |
– और फिर शाहजहाँ ने एक भी शिलालेख मे लाल किले का वर्णन तक नही है

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This entry was posted on October 22, 2014 by in HISTORY OF INDIA and tagged , .

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