HINDUISM AND SANATAN DHARMA

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X-MAS TRUTH- IT IS CHURCH BUSINESS.

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चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को हमारा नववर्ष है। हम परस्पर उसी दिन एक दुसरे को शुभकामनाये दें। अंग्रेजी कैलेन्डर के अनुसार 31 मार्च 2014 को यह दिन आयेगा।

  क्रिसमस का अर्थ क्या हैं? …. और क्रिसमस को एक्समस (X-mas) क्यों कहा जाता हैं?….. हम लोगो के तो संस्कृत या हिंदी के प्रत्येक शब्द का अर्थ हैं क्योंकि सब संस्कृत के मूल धातु से उत्पन्न हुआ हैं

……….. क्रिसमस को अगर ईसा के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता हैं तो फिर क्रिसमस में तो जन्मदिन जैसा कोई अर्थ नहीं है और उनके जन्म को लेकर ईसाई विद्वानों में ही मतभेद हैं………………………………….और उनके जन्म को 4 ईसा पूर्व बताते हैं …………………………………………………
ठीक हैं अगर मान लीजिये कि 25 दिसंबर को ही ईसा का जन्म हुआ था तो अपना नया साल एक सप्ताह बाद क्यों …?
आपको तो नया साल कि शुरुआत उसी दिन से करनी चाहिए थी …. ! कोई जवाब नहीं हैं उनके पास लेकिन हमारे पास हैं …. और जिन शब्दों का अर्थ उन्हें नहीं मालुम वो हमें हैं वो इसलिए कि लहरें नदी के जितना विशाल नहीं हो सकती

…….. एक और प्रश्न कि वो लोग अपना अगला दिन और तिथि रात के 12 बजे उठकर क्यों बदलते हैं जबकि दिन तो सूर्योदय के बाद होता हैं…………..

तनिक विचार कीजिये कि अंग्रेजी में सेप्ट (Sept) 7 के लिए प्रयुक्त होता हैं Oct आठ के लिए Dec दस के लिए तो फिर September, October, November & December क्रमश: नौवा, दसवां, ग्यारहवा और बारहवां महिना कैसे हो गया ……..??

सितम्बर को तो सातवाँ महिना होना चाहिए फिर वो नॉवा महीना क्यों और कैसे ……..? कभी सोचा आपने ……..!!
इसका कारण ये हैं कि 1752 ई0 तक इंग्लैण्ड में मार्च ही पहला महीना हुआ करता था और उसी गणित से 7वां महीना सितम्बर और दसवां महीना दिसम्बर था

  लेकिन 1752 के बाद जब शुरूआती महीना जनवरी को बनाया गया तब से सारी व्यवस्थाये बिगड़ी…तो अब समझे कि क्रिसमस को (X-mas) क्यों कहते हैं …. ! “x जो रोमन लिपि में दस का संकेत हैं और “mas” यानी मॉस, यानी दसवां महीना…….. उस समय दिसम्बर दसवां महीना था जिस कारण इसका X-mas नाम पड़ा……… और मार्च पहला महीना इसलिए होता था क्योंकि भारतीय लोग इसी महीने में अपना नववर्ष मानते थे और अभी भी मानते हैं ….

तो सोचिये कि हम लोग बसंत जैसे खुशाल समय जिसमे पैड-पौधे, फुल पत्ते सारी प्रकृति एक नए रंग में रंग जाती हैं और अपना नववर्ष मनाती हैं उसे छोड़कर जनवरी जैसे ठन्डे, दुखदायी और पतझड़ के मौसम में अपना नयासाल मनाकर हम लोग कितने बेवकूफ बनते हैं …..

सितम्बर यानी सप्त अम्बर यानी आकश का सातवां भाग…… भारतियों ने आकाश को बारह भागों में बाँट रखा था जिसका सातवा, आठवां, नौवां और दसवां भाग के आधार पर ये चारो नाम हैं…… तो अब समझे कि इन चार महीनो का नाम सेप्टेम्बर, अक्तूबर, नवम्बर और दिसम्बर क्यों हैं…..l

संस्कृत में ७ को सप्त कहा जाता हैं तो अंग्रेजी में सेप्ट, अष्ट को ओक्ट, दस को डेसी…….अंग्रेज लोग “त” का उच्चारण “ट” और “द” का “ड” करते हैं इसलिए सप्त सेप्ट और दस डेश बन गया …..
“पुरे विशव को अँधेरी गुफा से निकालकर सूर्य की रश्मि में भिगोने वाले,
जो पैरों पर घिसटना सिख रहे थे उन्हें ऊँगली पकड़कर चलना सिखाने वाले हम भारतियों को आज अपने भारतीय होने पर शर्म महसूस होती हैं, ………………………………………………
हम पूजा-पाठ, यज्ञ-हवन, दान-पुण्य कर घी के दिए को जलाकर, बढ़ो का आशीर्वाद लेकर नव वर्ष की शुरआत करने वाले
  अपना तर्कसंगत नया साल को छोड़कर अंग्रेजो का नया साल मनाते हैं जिसका कोई आधार ही नहीं हैं

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This entry was posted on December 25, 2013 by in CHRISTIANITY and tagged .

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