Kutub Minar: Its Origins
P.N.Oak
आजकल दिल्ली में हम जिसे कुतुबमीनार कहते हैं
और …. उस लूले कुतुबुद्दीन ऐबक
द्वारा बनवाया गया समझते हैं…. दरअसल वह……
महाराजा विक्रमादित्य के राज्यकाल में….
राजा विक्रमादित्य द्वारा बनवाया गया …. “”हिन्दू
नक्षत्र निरीक्षण केंद्र”” है…..
जिसका “”असली नाम ध्रुव स्तम्भ”” है
पढीये केसे???
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य (राज 380-413) गुप्त
राजवंश के राजा।
चन्द्रगुप्त द्वितीय महान जिनको संस्कृत में
विक्रमादित्य या चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के नाम
से जाना जाता है; गुप्त वंश के एक महान
शक्तिशाली सम्राट थे। उनका राज्य
375-413/15 ई तक चला जिसमें गुप्त राजवंश
ने अपना शिखर प्राप्त किया । गुप्त साम्राज्य
का वह समय भारत का स्वर्णिम युग
भी कहा जाता है। चन्द्रगुप्त द्वितीय महान अपने
पूर्व राजा समुद्रगुप्त महान के पुत्र थे। उसने
आक्रामक विस्तार की नीति एवं लाभदयक
पारिग्रहण नीति का अनुसार करके सफलता प्राप्त
की ।
आजकल दिल्ली में हम जिसे कुतुबमीनार कहते हैं
और …. उस लूले कुतुबुद्दीन ऐबक
द्वारा बनवाया गया समझते हैं…. दरअसल
वह…… महाराजा विक्रमादित्य के राज्यकाल
में…. राजा विक्रमादित्य
द्वारा बनवाया गया …. “”हिन्दू नक्षत्र
निरीक्षण केंद्र”” है….. जिसका “”असली नाम
ध्रुव स्तम्भ”” है…!
जिस स्थान में क़ुतुब परिसर है ……. उसे
मेहरौली कहा जाता है,….. और यह
मेहरौली ……..वराहमिहिर के नाम पर
बसाया गया था …..जो सम्राट चन्द्रगुप्त
विक्रमादित्य के नवरत्नों में एक और .. एक बहुत
बड़े खगोलशास्त्री एवं भवन निर्माण विशेषज्ञ
थे !
उन्होंने इस परिसर में मीनार यानि स्तम्भ के
चारों ओर नक्षत्रों के अध्ययन के लिए……..
27 कलापूर्ण परिपथों का निर्माण करवाया था….
और, .इन परिपथों के स्तंभों पर सूक्ष्मकारीगरी के
साथ देवी देवताओं की प्रतिमाएं
भी उकेरी गयीं थीं जो नष्ट किये जाने के बाद
भी कहीं कहीं दिख ही जाती हैं… ( चित्र संलग्न )
इसका दूसरा सबसे बड़ा प्रमाण….. उसी परिसर
में खड़ा लौह स्तम्भ है……..जिस पर खुदा हुआ
ब्राम्ही भाषा का लेख………जिसमे लिखा है
कि….. यह स्तम्भ जिसे गरुड़ ध्वज
कहा गया है… सम्राट चन्द्र गुप्त विक्रमादित्य
(राज्य काल 380-413 ईसवीं ) द्वारा स्थापित
किया गया था….. और, यह लौहस्तम्भ आज
भी विज्ञान के लिए आश्चर्य की बात है …
क्योंकि… आज तक इसमें जंग नहीं लगा…
उसी महान सम्राट के दरबार में महान गणितज्ञ
आर्य भट्ट…….खगोल शास्त्री एवं भवन
निर्माण विशेषज्ञ वराह मिहिर……वैद्य
राजब्रम्हगुप्त आदि हुए…….!