HINDUISM AND SANATAN DHARMA

Hinduism,Cosmos ,Sanatan Dharma.Ancient Hinduism science.

Sanskrit used in Mendeleev’s predicted elements

मेण्डलीव की आवर्त सारणी में संस्कृत Sanskrit used in Mendeleev’s predicted elements यदि आप कभी विज्ञान के छात्र रहे है तो रासायनिक तत्वो की आवर्त सारणी के बारे मे अवश्य जानते होंगे| लेकिन क्या आप यह जानते है कि इसके रचयिता मेण्डलीव ने इसमे… तत्वो के लिये संस्कृत शब्दो का प्रयोग किया है? है ना आश्चर्यजनक! वर्तमान आवर्त सारणी मै 117 ज्ञात तत्व सम्मिलित हैं। रूसी रसायन-शास्त्री मेंडलीफ (सही उच्चारण- मेन्देलेयेव) ने सन 1869 में आवर्त नियम प्रस्तुत किया। 1815 से 1913 तक इसमें बहुत से सुधार हुए ताकि नये आविष्कृत तत्वों को उचित स्थान दिया जा सके और सारणी नयी जानकारियों के अनुरूप हो। रसायन शास्त्रियों के लिये आवर्त सारणी अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं उपयोगी है। जब मेण्डलीव ने आवर्त सारणी नियमो के आधार पर बनायी तो उसमे कई रिक्त स्थान मिले और मेण्डलीव ने उन रिक्त स्थानों पर तत्त्व होने की भविष्यवाणी की। और उन तत्वों के नामांकरण भी कर दिये गए। आवर्त सारणी के चित्र मे जो स्थान खाली है। वस्तुतः ये स्थान नये तत्वो की भविष्यवाणी करते है| जैसे – गैलियम (gallium) और जर्मेनियम (germanium)| इन तत्वो की भविष्यवाणी मेण्डलीव ने 1869 मे की थी और 1875 और 1886 मे इन तत्वों की खोज की गयी| इन संभावित तत्वो को मेण्डलीव ने उनके उपर लिखे तत्वो के अनुसार नाम दिया| जैसे ग्रुप-3 मे बोरान के नीचे, संभावित तत्व को एक-बोरान (eka-boron), एलुमिनियम के नीचे संभावित तत्व को एक-एलुमिनियम (eka-alluminium) इत्यादि| मेण्डलीव ने कुल 8 तत्वो के लिये संस्कृत शब्दो का प्रयोग किया था| Eka-aluminium (एक-एलुमिनियमम) – Gallium Eka-boron(एक-बोरोन) – Scandium Eka-silicon(एक-सिलिकान) – Germanium Eka-manganese(एक-मैंगनीज) – Technetium Tri-manganese(त्रि-मैंगनीज) – Rhenium Dvi-tellurium(द्वि-टेल्लुरियम) – Polonium Dvi-caesium(द्वि-कैस्मियम) – Francium Eka-tantalum(एक-टेन्टेलम) – Pratactinium केवल इतना ही नही, आवर्त सारणी कई दृष्टिकोणो से देवनागरी वर्णमाला से भी मिलती जुलती है| देवनागरी वर्णमाला द्वि-आयामी व्यवस्था है, जिसमे प्रत्येक अक्षर अपने क्षैतिज समूह के अन्य अक्षरो के समान है, साथ ही साथ वह उर्ध्व रेखा मे, अन्य समूहो के अक्षरो के समान गुण प्रदर्शित करता है। जैसे ‘क’ के साथ ‘ह’ का उच्चारण करने पर वह ‘ख’ बनता है, और ‘च’ को ‘ह’ से मिलाने पर ‘छ’ बनता है, तथा वर्णमाला मे ‘ख’ और ‘छ’ ऊपर-नीचे है| ध्यान देने योग्य बात है कि संसार की अन्य वर्णमालाये रैखिक है, जैसे रोमन (A, B, ….Z)| मेण्डलीफ की आवर्त सारणी भी द्वि-आयामी है। इसमे क्षैतिज समूह और उर्ध्व समूह दोनो है| स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी (Stanford University) के प्रोफेसर पॉल किपास्की (Paul Kiparsky) के अनुसार, मेण्डलीव एक संस्कृतविद बौदलिंक (Böhtlingk) के साथी एवं मित्र थे, जो कि उस समय पाणिनि पर अपनी पुस्तक (Otto Böhtlingk, Panini’s Grammatik: Herausgegeben, Ubersetzt, Erlautert und MIT Verschiedenen Indices Versehe. St. Petersburg, 1839-40) लिख रहे थे, और मेण्डलीफ ने पाणिनि को सम्मान देने की इच्छा से ही संभावित तत्वो को ऐसे नाम दिये| किपास्की का यह भी कहना है कि सम्भवत: पाणिनि के “शिव-सूत्र” से प्रभावित हो कर तत्वो की दो-आयामी व्यवस्था का विचार उनके मन मे आया| हालांकि इस बात के संकेत नही है कि उन्हे संस्कृत भाषा का गहरा ज्ञान था| निश्चित रूप से यह केवल संस्कृत वर्णमाला के सारणिक रूप का प्रभाव था, क्योकि यह तो किसी भी नये विद्यार्थी को भी मालूम रहता है| संस्कृत वर्णमाला के सारणिक रूप के दो कारण है- कंठ और श्वास का प्रयोग, और मेण्डलीव ने इस बात को ध्यान दिया होगा कि रासायनिक बन्ध और परमाणु भार के आधार पर तत्वो की दो-आयामी सारणी बनायी जा सकती है| उल्लेखनीय है कि उन्नीसवीं शताब्दी के बहुत से यूरोपीय विद्वानो ने संस्कृत का अध्ययन किया था| बौदलिंक (Böhtlingk) भी उनमे से एक थे और मेण्डलीव के मित्र भी थे| मेण्डलीव St. Petersburg Academy of Sciences मे लेक्चर देते थे जब उन्हे उनकी पुस्तक “Organic Chemistry” के लिये Demidov prize दिया गया| बौदलिंक (Böhtlingk) उस पुरस्कार के नामांकन समिति के सदस्य थे| विकिपीडिआ में भी बताया है कि आवर्त सारणी में रिक्त स्थानों पर तत्त्व होने की भविष्यवाणी के नाम में संस्कृत भाषा के उपसर्ग का उपयोग किया है।
http://en.wikipedia.org/wiki/Dmitri_Mendeleev

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Information

This entry was posted on January 22, 2014 by in BHARAT, HINDUISM SCIENCE and tagged , .

I'm just starting out; leave me a comment or a like :)

Follow HINDUISM AND SANATAN DHARMA on WordPress.com

Follow me on Twitter

type="text/javascript" data-cfasync="false" /*/* */
%d bloggers like this: