गोपनीय चमत्कारी गायत्री मंत्र के 13 गुप्त उपाय | गायत्री मंत्र का अर्थ
गायत्री मंत्र के 13 गुप्त उपाय: महर्षि विश्वामित्र ने ब्रह्मा से एक मंत्र प्राप्त किया और उसे सिद्ध कर उसकी पूर्ण उपासना विधि निर्मित करें तत्पश्चात इसे गायत्री मंत्र कहा गया। गायत्री मंत्र को मंत्रराज कहा जाता है, क्योंकि इस मंत्र में महा उद्देश्य पूरे किए जा सकते हैं।
स्वयं ऋषि विश्वामित्र भी इस मंत्र के बल पर एक अलग विश्व बनाने में सक्षम हो सके, बड़े-बड़े ऋषि मुनि भी अपने जीवन में गायत्री मंत्र को उतारने का प्रयास करते रहते हैं।
हर एक सनातनी गायत्री मंत्र का महत्व जानता है और फिर उसके लाभ से परिचित है, परंतु आज हम इसके अनेकों उपाय में से रोग नाश, एवं ग्रह शांति के लिए गुणकारी प्रयोगों को जानने का प्रयास करेंगे, तो आइए जानते हैं गायत्री मंत्र से होने वाले कुछ लाभकारी फायदे।
उस प्राण स्वरूप, दुख नाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पाप नाशक, देव स्वरूप, परमात्मा को हम अंतरात्मा में धारण करें, वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें।
“प्रणव ॐ “का संदेश है परमात्मा सभी प्राणियों में समाया हुआ है, इसलिए निष्काम भाव से सभी के प्रति समर्पित होकर कर्म करो। “भू” का संदेश है शरीर अस्थाई औजार मात्र है इस पर अत्यधिक आसक्त न होकर आत्म बल बढ़ाओ श्रेष्ठ मार्ग का अनुसरण करो। “र्भुव:” का संदेश है को संस्कारों से जूझते रहने वाला मनुष्य देवत्व को प्राप्त करता है।”स्वः” का संदेश अरे विवेक द्वारा शुभ बुद्धि से सत्य को जानने, संयम और त्याग की नीति का आचरण करने के लिए अपने को तथा दूसरों को प्रेरणा देनी चाहिए।”तत्स” शब्द का संदेश है वही बुद्धिमान है, जो जीवन और मरण के रहस्य को जानता है, भय और आसक्ति रहित जीवन जीता है। “सवित्यु” को शब्द का संदेश है मनुष्य को सूर्य के समान तेजस्वी होना चाहिए।”वरेण्यम” शब्द का संदेश है प्रतेक को श्रेष्ठ देखना, श्रेष्ठ चिंतन करना, श्रेष्ठ विचारणा, श्रेष्ठ कार्य करना चाहिए।”भर्गव” का शब्द का संदेश है मनुष्य को निष्पाप बनना चाहिए पापों से सदैव सावधान रहना चाहिए।”देवस्य” का संदेश हे देवताओं के समान शुद्ध दृष्टि रखने से परमार्थ कर्म में निरत रहने से मनुष्य के भीतर और बाहर देवलोक की सृष्टि होती है।
“धीमही” शब्द का संदेश है हम सब लोग ह्रदय में सब प्रकार के पवित्र शक्तियों को धारण करें, इसके बिना मनुष्य सुख शांति को प्राप्त नहीं होता।”धियो” शब्द बतलाता है कि बुद्धिमान को चाहिए कि वह उचित-अनुचित का निर्णय तर्क, विवेक और न्याय के आधार पर वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए करें।”यो नः” पद का तात्पर्य है हमारी जो भी शक्तियां एवं साधन हैं, उनकी न्यून से न्यून भाग को ही अपनी आवश्यकता के लिए प्रयोग में लाएं, शेष निस्वार्थ भाव से असमर्थों में बाट दें।”प्रचोदयात्” शब्द का तात्पर्य है मनुष्य को अपने आपको तथा दूसरों को सत्य मार्ग पर चलने के लिए प्रेरणा दें।
गायत्री मंत्र के 13 गुप्त उपाय हिंदी में
1. गायत्री मंत्र जपते हुए फूलों का हवन करने से सर्व सुख समृद्धि प्राप्त होती है।
2. शंख पुष्पी के पुष्पों से गायत्री मंत्र का हवन करने से कुष्ठ रोगो का निवारण होता है।
3. आम के पत्तों को गाय के दूध में डुबोकर हवन करने से सभी प्रकार के ज्वर रोग में लाभ होता है।
4. शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे गायत्री मंत्र जप करने से सभी प्रकार की ग्रह बाधा से रक्षा होती है।
5. बेत की लकड़ी से गायत्री मंत्र का हवन करने से विद्युत पात और राष्ट्र विप्लव की बाधाएं दूर होती है।
6. लाल कमल या चमेली के फूल एवं शाली चावल से गायत्री मंत्र का हवन करने से लक्ष्मी प्राप्ति होती है।
7. गायत्री मंत्र का 108 बार जाप कर केवल जल का फूंक लगाने पर भी भूतबाधा, नजर आदि दोष दूर होता हैं।
8. महान प्राण संकट में नदी के पानी में कंठ तक खड़े होकर नित्य 108 बार गायत्री मंत्र जपने से प्राण रक्षा होती है।
9. दुःखी होकर आर्त भाव से मंत्र जप कर कुशा पर फूंक मारकर शरीर का स्पर्श करने पर, सभी प्रकार के रोग व भूत भय नष्ट हो जाते हैं।
10. बिल्व पुष्प, फल, घी खीर की हवन सामग्री बनाकर बेल के छोटे-छोटे टुकड़े कर बिल्व की लकड़ी से हवन करने पर भी लक्ष्मी प्राप्ति होती है।
11. कुछ दिन नित्य 108 बार गायत्री मंत्र जपने के बाद जिस तरफ मिट्टी का ढेला फेका जायेगा, उस तरफ से शत्रु वायु अग्नि दोष दूर हो जाएगा।
12. गुरुचि के पोधे की छोटे-छोटे टुकड़े कर गाय के दूध में डुबोकर नित्य 108 बार गायत्री मंत्र पढ़कर हवन करने से मृत्यु योग का निवारण होता है।
13. ग्रह शांति में शमी वृक्ष की लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े कर गूलर, पाकर, पीपल और बरगद के साथ गायत्री मंत्र की 108 आहुतियां देने से शांति मिलती है।
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